यह कोई मंदिर, गुरुद्वारा, या कोई अन्य धार्मिक स्थल नही है और न ही यह ऐसी जगह है जँहा पर प्रसाद या लंगर वितरित होता है। तो बताइये इस अनोखी जगह का क्या नाम है?
पानी-पूरी या गोलगप्पा; इन वस्तुओं को खाने के लिए कोई भी व्यक्ति अपनी बारी आने का इंतजार करता है और खाता है।
पानी पूरी (गोलगप्पा) भारत का वो चटपटा चमत्कार है, जो सड़क किनारे ठेले से लेकर पांच सितारा होटल तक, हर जगह अपने स्वाद का जलवा बिखेरता है। इसे देश के हर कोने में अलग-अलग नामों से जाना जाता है — कहीं इसे गोलगप्पा कहते हैं, तो कहीं पानी के बताशे, कहीं फुचका, तो कहीं गुपचुप। नाम भले बदल जाएं, पर इसका स्वाद सब जगह लोगों के दिलों में बसता है।
इस छोटी-सी पूरी का जादू तब शुरू होता है जब इसे बीच से फोड़ा जाता है, उसमें उबले आलू, चने या मसालेदार भरावन डाला जाता है, और फिर ऊपर से तीखा, खट्टा और कभी-कभी मीठा पानी डाला जाता है। जैसे ही ये मुंह में जाता है, स्वादों की एक बेमिसाल आतिशबाज़ी होती है — आंखें बंद हो जाती हैं, जीभ झूम उठती है और दिल कहता है, “बस एक और!”।
पानी पूरी केवल खाने की चीज नहीं है, ये एक अनुभव है — दोस्ती का बहाना है, हंसी-मजाक की वजह है, और ज़िंदगी के चटपटे लम्हों का हिस्सा है। चाहे वह गर्मी की छुट्टियों में स्कूल के बाहर लगी ठेली हो या बारिश में भीगते हुए दोस्तों के साथ खाया गया गोलगप्पा — इसका स्वाद हर याद में खास होता है।
विदेश से आया कोई पर्यटक जब पहली बार पानी पूरी खाता है, तो उसकी आंखें हैरानी से चौड़ी हो जाती हैं, और अगला सवाल यही होता है — "Can I have one more please?"
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