फिर भी श्याम ने कई बार जूठी पकौड़ी को अनजाने में खा लिया। बताइए, ऐसा कैसे हो सकता है?
जब कभी उसने पेंसिल से लिखे हुए पन्नों पर पकौड़ी खाई होगी, तभी उसने जूठी पकौड़ी भी खा ली होगी।
इसका कारण यह है कि छोटे बच्चे पेंसिल से लिखते हुए कभी गलती हो जाने पर अपने थूक से ही मिटाना प्रारंभ कर देते हैं। कई लोग नोटबुक, पेपर को पढ़ते समय पर थूक लगाकर पढ़ते हैं।
इसके अतिरिक्त कई लोग पैसे वाला नोट गिनते समय भी थूक लगाते हैं। इस तरह श्याम ने जरूर कभी न कभी पैसे देकर कोई खाद्य पदार्थ खरीदा होगा और बिना हाथ धोए हुए उसे खा लिया होगा। इस प्रकार यह भी एक प्रकार का जूठा खाना ही हुआ।
1. स्वास्थ्य की दृष्टि से: जूठा खाना यानी किसी और का खाया हुआ या मुँह लगा हुआ भोजन, स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। इससे बैक्टीरिया या वायरल इंफेक्शन फैल सकते हैं। जैसे मुँह के छाले, जुकाम, या पाचन समस्याएं हो सकती हैं।
2. सामाजिक दृष्टि से: समाज मे या कुछ समुदायों और परंपराओं में जूठा खाना अशुद्ध माना जाता है। विशेषकर अगर वह भोजन किसी छोटे, बड़े, या विपरीत लिंग के व्यक्ति का हो। जूठा देना या खाना अपमानजनक भी समझा जा सकता है, खासकर अगर वह जान-बूझकर किया जाए।
3. नैतिक दृष्टि से: किसी को धोखे से जूठा भोजन देना, जैसे बिना बताए अन्य जूठा खाद्य पदार्थ देना, जो पहले किसी ने खा ली हो, यह धोखा और अनादर माना जाता है। अगर कोई सच्चे प्रेम या अपनत्व से जूठा खा रहा है (जैसे माँ-बेटा, पति-पत्नी के बीच), तो उसे कुछ स्थानों पर प्यार और अपनापन भी माना जाता है।
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